मित्रो !
"करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय।
बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय ॥"
जिस प्रकार प्रत्येक क्रिया के साथ एक निश्चित एवं अद्वितीय प्रतिक्रिया सम्बद्ध होती है उसी प्रकार प्रत्येक कर्म के साथ एक निश्चित एवं अद्वितीय फल (परिणाम) सम्बद्ध होता है। जिस प्रकार भिन्न - भिन्न क्रियाओं की भिन्न - भिन्न प्रतिक्रियाएं होतीं हैं उसी प्रकार भिन्न - भिन्न कर्मों के फल (परिणाम) भी भिन्न - भिन्न होते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जिस प्रकार हमें कोई प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए उससे सम्बंधित क्रिया करनी होती है उसी प्रकार हमें विशिष्ट फल (परिणाम) पाने के लिए उससे सम्बद्ध कर्म करना होता है।
बबूल का पेड़ जिससे हमें कांटे और गोंद प्राप्त होता है के लगाने से आम के पेड़ पर लगने वाले आम प्राप्त नहीं हो सकते। यदि हम चाहते हैं कि एक पौधा लगाऊं जिससे आम मिल सकें तब हमें आम का पौधा ही लगाना होगा। हमें कार्य का चयन अपेक्षित फल के अनुसार करना चाहिए ताकि बाद में पश्चात्ताप न करना पड़े। सन्त कबीर दास जी ने इस ज्ञान का निम्नलिखित दोहे में बड़े ही अच्छे ढंग से वर्णन किया है :
बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय ॥"
No comments:
Post a Comment