मित्रो !
कितनी विडम्बना है कि हम वसुधैव कुटुम्बकम (The whole world is a family) की पैरवी कर रहे हैं किन्तु हमारा अपना परिवार जिसमें हम जन्में थे टूट कर तार-तार हो रहा है। जो अपनों के सगे नहीं हो सके, दुनियाँ के गैरों से उनके सगे होने की बात कैसे कर सकते हैं। वे यह भी भूल गए हैं कि Charity begins at home. क्या अपनो का यही गुनाह है कि वे अपने हैं।
कितनी विडम्बना है कि हम वसुधैव कुटुम्बकम (The whole world is a family) की पैरवी कर रहे हैं किन्तु हमारा अपना परिवार जिसमें हम जन्में थे टूट कर तार-तार हो रहा है। जो अपनों के सगे नहीं हो सके, दुनियाँ के गैरों से उनके सगे होने की बात कैसे कर सकते हैं। वे यह भी भूल गए हैं कि Charity begins at home. क्या अपनो का यही गुनाह है कि वे अपने हैं।
ONE SHOULD TAKE CARE OF ONE'S OWN FAMILY AND PEOPLE CLOSE TO IT BEFORE IT WORRIES ABOUT HELPING OTHERS.
दरियादिली, गुनाह
दरियादिली, गुनाह
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