मित्रो !
वयस्कों द्वारा बच्चों के साथ बचपन साझा तो किया जा सकता है किन्तु व्यवहारिक जीवन में वयस्कों द्वारा बचपन जिया नहीं जा सकता। अगर कोई वयस्क बचपन की हरकत करता है तब यह उसका बचपन न होकर उसका बचपना होता है जो उसकी अपरिपक्वता की निशानी होती है। वयस्क द्वारा बचपना आचरण उसके अपने लिए और अन्यों के लिए अहितकारी होता है।
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