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Thursday, March 3, 2016
यश और अपयश
मित्रो !
चरित्रवान और अच्छे संस्कारों से युक्त व्यक्ति सत्कर्म करते हुए अपने लिए जहाँ यश और सम्मान अर्जित करता है वहीँ दुश्चरित्र व्यक्ति दुष्कर्म करते हुए अपने लिए अपयश और अपमान अर्जित करता है।
मेरे विचार से यह कहना कि यश और अपयश मनुष्य के अपने हाथ में नहीं है उचित नहीं है। चरित्र निर्माण व्यक्ति के अपने हाथ में ही, बुरे संस्कारों में पला व्यक्ति भी ज्ञान प्राप्त कर अच्छे संस्कार अपना सकता है।
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