मित्रो !
हमारी सभ्यता में अपने बड़ों और आदर योग्य व्यक्तियों के पैर छूकर (चरण स्पर्श करके) अभिवादन करने की परम्परा है। इससे पैर छूने वाले को अनेक लाभ मिलते हैं। बिडम्बना यह है कि आजकल अनेक लोग आधे-अधूरे मन से चरण स्पर्श की मात्र औपचारिकता निभाते हैं। ऐसा करना उचित नहीं है।
पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार समाप्त होता है। किसी के पैर छूने का मतलब है उसके प्रति समर्पण भाव जगाना। जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार समाप्त हो जाता है। जिस व्यक्ति के पैर छुए जाते हैं वह जब पैर छूने वाले के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देता है तब पैर छूने वाले के शरीर में सकारत्मक ऊर्जा का संचार होता है। कहा गया है :
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि जो पुरुष रोज बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श करता है उसकी चार चीजों उम्र, विद्या, यश और शक्ति में बृद्धि होती है।
आमतौर पर तीन तरीकों से पैर छुए जाते हैं।
पहला तरीका- झुककर पैर छूना।
दूसरा तरीका- घुटने के बल बैठकर पैर छूना।
तीसरा तरीका- साष्टांग प्रणाम करना।
पैर छूने की क्रिया में निम्नप्रकार शारीरिक व्यायाम भी होता है।
झुककर पैर छूना– झुककर पैर छूने से हमारी कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है।
घुटने के बल बैठकर पैर छूना- इस विधि से पैर छूने पर हमारे शरीर के जोड़ों पर बल पड़ता है, जिससे जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
साष्टांग प्रणाम– इस विधि में शरीर के सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए सीधे तन जाते हैं, जिससे शरीर का स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा, झुकने से सिर का रक्त प्रवाह व्यवस्थित होता है जो हमारी आंखों के साथ ही पूरे शरीर के लिए लाभदायक है।
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