मित्रो !
बिना कर्म किये जो कुछ हमें मिल जाता है, हम उसे भाग्य मान लेते हैं। वास्तविकता यह है कि बिना कर्म किये हमें अच्छा या बुरा कुछ भी नहीं मिलता। जिसे हम भाग्य से मिला समझते हैं उससे सम्बंधित हम अपने द्वारा किये गए कर्म को भूल चुके होते हैं।
बिना कर्म किये जो कुछ हमें मिल जाता है, हम उसे भाग्य मान लेते हैं। वास्तविकता यह है कि बिना कर्म किये हमें अच्छा या बुरा कुछ भी नहीं मिलता। जिसे हम भाग्य से मिला समझते हैं उससे सम्बंधित हम अपने द्वारा किये गए कर्म को भूल चुके होते हैं।
भाग्य में पूर्व
जन्मों में किये गए कर्मों के अच्छे या खराब फल होते हैं। भाग्य, वर्तमान या भविष्य में किये जाने वाले
कर्मों का निर्धारण नहीं करता।
कर्म और कर्म - फल
सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक कर्म का एक फल होता है, सत्कर्म का फल अच्छा और दुष्कर्म का फल
ख़राब होता है। जब किसी जन्म में किये गए किसी कर्म का फल उसी जन्म में प्राप्त
नहीं होता तब ऐसे कर्म का फल अगले जन्मों में प्राप्त होता है। जन्म के अन्त में
अवशेष रहे कर्मों के फलों से अगले जन्मों के लिए प्रारब्ध या भाग्य का निर्माण
होता है।
हम सभी जानते हैं कि
फल से कर्म का निर्माण नहीं होता बल्कि कर्म से कर्म के अनुसार फल का निर्माण होता
है। इससे स्पष्ट है कि भाग्य से कर्मों का निर्माण नहीं हो सकता।
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