मित्रो !
क्षमा माँगने और क्षमा कर देने से किये गए गुनाह या
गलती की गम्भीरता कम नहीं हो जाती केवल गुनाह या गलती करने वाले और क्षमा कर देने
वाले के मध्य भविष्य के लिए रिश्ते सामान्य हो जाते हैं। मनुष्य को प्रयास करना
चाहिए कि भविष्य में उससे गुनाह या गलती न हो।
इसका यह अभिप्राय कदापि नहीं
है कि क्षमा मांगना और क्षमा कर देना व्यर्थ है। आहत होने के बाद मनमुटाव का
समाप्त हो जाना, रिश्तों का सामान्य हो जाना
भी अपने में बहुत बड़ी उपलब्धि है। क्षमा माँगने और क्षमा कर देने से मैत्री भाव भी उत्पन्न होता है, विनम्रता आती है और अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण होता है।
किसी को कष्ट पहुँचाने के तुम्हारे गुनाह के लिए वह तुम्हें क्षमा कर भी दे लेकिन इससे तुम्हारे द्वारा किये गए गुनाह की गम्भीरता तो कम नहीं होगी। कोशिश करो कि भविष्य में तुमसे कोई गुनाह न हो।
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