Friends!
Because of increased needs and expectations of continuously
increasing population, dwindling tolerance and increased distances among human
beings, there is continuous decay in natural resources and due to this
situation is becoming alarming. In such a situation, the nature can be given
relief to a large extent, only by promoting and cultivating eternal ascetic
values.
बढ़ती जनसंख्या की बढ़ती
हुयी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं तथा मनुष्यों के बीच बढ़ती दूरियों और घटती सहनशीलता
से प्राकृतिक संसाधनों में निरंतर आ रही कमी के कारण स्थिति भयावह होती जा रही है।
ऐसे में केवल शाश्वत सात्विक मूल्यों को अपना कर और बढ़ावा देकर ही प्रकृति को एक बड़ी
सीमा तक राहत दी जा सकती है।
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