मित्रो!
मस्तिष्क के पूर्ण
विकास के अभाव
में बच्चे भले
और बुरे में
अंतर करने में
असमर्थ होते हैं। एक
बच्चे के पास
बहुत सारे खिलौने
होने पर भी
वह अन्य बच्चों
के खिलौने छीन
लेने को आतुर
रहता है भले
ही उससे अपने
खिलौने न संभलते
हों। और
यह कि बच्चा
उन बच्चों के
खिलौने छीन भी
लेता है जो
उससे कमजोर होते
हैं। आज का
आदमी भी बच्चा
बना हुआ है,
वह औरों का
सब कुछ हथिया
लेना चाहता है
भले ही उससे
अपनी सम्पदा न
संभाली जा रही
हो। यह सब
मुझे विश्वास करने
के लिए विवश
करता है कि
आज का मनुष्य
बच्चा होता जा
रहा है।
In the absence of complete development of
the brain, children are unable to differentiate between good and bad. Even if a
child has lots of toys, he is eager to snatch toys from other children even and
in doing so he does not bother about his own toys. And this, that the child
also grabs toys of those children who are weaker than him. Today's man is also
behaving like a child, he wants to grab everything else, even if he is not capable
of handling his own properties. This compels me to believe that man, of today,
is becoming a child.
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