मित्रो !
कैसी विडम्बना है कि
हम सूर्य, चंद्र,
मंगल, बुध, बृहस्पति,
शुक्र, शनि और
छाया ग्रहों राहु
और केतु की पूजा-अर्चना करते हैं
और उनके रुष्ट होने से
उनसे डरते भी
हैं किन्तु पृथ्वी
गृह जो हम
सबका भार उठाये
हुए है और हमारे
जीवन पर्यन्त हमारा
पालन - पोषण करता
है, उसकी पूजा
कोई-कोई ही
करता है। अधिकांश लोग नित्य-प्रति उसे क्षति
पहुंचा कर घायल
और अपमानित करते
रहते हैं।
मैं जानता हूँ कि अगर
तुम चाहो भी तो नहीं दे सकते,
इस पावन पृथ्वी माँ
को दवा उसके दुखते घावों की,
फिर भी अगर हिम्मत
है, जज्बा है, तुममें कुछ करने का,
तो दया करो इस माँ
पर, उसे कोई और नया घाव न दो।
I know that even
you wish, you can't give medicine,
to this holy
mother Earth, for her painful wounds.
Even then if emotions
and courage are in you, to do something for her,
then be
compassionate to the mother, do not give her any new wound.
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