Wednesday, July 8, 2015

ताकि गरीब, गरीब न रहे


मित्रो !

          यदि हम चाहते हैं कि शहरों और गाँवों में रह रहे सभी लोगों का विकास हो और गाँवों में रह-रहे गरीबों की गरीबी दूर हो तब हमें समझना होगा कि केवल गाँवों से शहरों की ओर जाने वाले रास्तों का होना ही पर्याप्त नहीं हैं, हमें समान रूप से शहरों से गाँवों की ओर जाने वाले रास्तों को भी विकसित करना होगा। गाँवों की शहरों पर निर्भरता को कम करना होगा और शहरों की गाँवों पर निर्भरता को यथासंभव बढ़ाना होगा। 

          मेरा मानना है कि मनरेगा जैसी योजनाओं की सामयिक आवश्यकता है किन्तु ऐसी योजनायें निर्भरता बढ़ाती है आत्म-निर्भरता को बढ़ाबा नहीं देती जबकि गरीबी के उन्मूलन के लिए ऐसी योजनाओं की आवश्यकता है जो गरीब और बेरोजगारों को आत्म-निर्भर बनायें। इसके लिए भूमिहीनों और कम भूमि रखने वाले किसानों के लिए अतिरिक्त संसाधन मुहैया कराने के लिए कृषि, बन, प्राकृतिक सम्पदा और पशु पालन से सम्बंधित छोटे उद्योग गाँवों में स्थापित करने होंगे। ऐसे उद्योगों की गाँवों में स्थापना को प्रोत्साहित भी करना होगा।



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