Wednesday, July 8, 2015

योग के लिए आदतों में संतुलन जरूरी : Balance in habits, a need for Yoga

मित्रो !

          श्रीमद भगवद गीता (GITA) मात्र एक धार्मिक ग्रन्थ ही नहीं है। इसमें व्यवहारिक जीवन किस तरह जिया जाय से सम्बंधित ज्ञान भी दिया गया है। इस कारण यह (श्रीमद भगवद गीता) केवल हिंदुओं के लिए ही उपयोगी नहीं बल्कि समस्त  मानव जाति के लिए कल्याणकारी है।  इसके अध्याय 6 के श्लोक 17 में भगवान श्री कृष्ण द्वारा  अर्जुन को संबोधित करते हुए कहा गया है -
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा।।

        जो (व्यक्ति) खाने, सोने, आमोद-प्रमोद तथा काम करने की आदतों में नियमित रहता है, वह योगाभ्यास द्वारा समस्त भौतिक क्लेशों को नष्ट कर सकता है।


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