Saturday, October 24, 2015

सबसे बड़ा मूर्ख मैं

मित्रो !
         मैं सबसे बड़ा मूर्ख हूँगा यदि मैं समझूँ कि ईश्वर ने मुझे सबसे बड़ा विद्वान और बुद्धिमान बनाया है और जो कुछ मैं करता हूँ उसको और उसके पीछे छिपे मेरे उद्देश्य को समझ पाने की क्षमता और बुद्धिमत्ता किसी और में नहीं है।
मेरा विश्वास है कि मैं जो कुछ लिखता और कहता हूँ, उसको तथा उसके पीछे मेरे उद्देश्य और मेरी भावना को मेरे मित्र अवश्य समझते हैं क्योंकि ईश्वर ने उन्हें मुझसे अधिक विद्वान और बुद्धिमान बनाया है। 
         लेकिन अगर कोई और अपने बारे में ऐसा समझता है कि ईश्वर ने उसे सबसे बड़ा विद्वान और बुद्धिमान बनाया है और जो कुछ वह करता है उसको और उसके पीछे छिपे उसके उद्देश्य को समझ पाने की क्षमता और बुद्धिमत्ता किसी और में नहीं है तब इससे मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है। दुनियाँ जौं - जौं अगरी है।




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