Saturday, October 24, 2015

धर्म-क्षेत्र में परिवर्तनों की गुंजाइश : Scope for Changes in the Field of Religion


मित्रो !

         यहाँ व्यक्त किया गया विचार मेरा निजी विचार है। हो सकता है की मेरा सोचना गलत भी हो किन्तु मानव कल्याण के लिए इस दिशा में सोचना एक आवश्यकता है। इस विचार को प्रकशित करने के पीछे किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मेरा उद्देश्य नहीं है। फिर भी यदि किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचती है तब मैं इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। 
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        मेरे विचार से सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए धर्म के दो भाग होते हैं। एक भाग में जीवन के अपरिवर्तनशील शाश्वत मूल्य होते हैं, दूसरे भाग में रीति-रिवाज (customs & traditions) और जीवन शैली होते हैं। मेरा मानना है कि शाश्वत मूल्यों पर प्रभाव डाले बिना मानव जीवन की बेहतरी के लिए दूसरे भाग में किये गए परिवर्तनों से धर्म की हानि नहीं होती। 
        यदि हम लोगों को यह समझा पाने में कामयाब हो जाते हैं तब हम अनेक कुरीतियों से समाज को बचा सकते हैं।


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