Saturday, October 24, 2015

हर्र लगे न फिटकरी ---


मित्रो !
        हम उन बुराइयों और खराबियों को क्यों न बदल डालें जिनको बदलने के लिए न तो कोई श्रम चाहिए और न कोई संसाधन ही। 
        सोचिये अगर ऐसा हो तो कितना अच्छा हो? हम "हर्र लगे न फिटकरी रंग चोखा आय।" को क्यों न चरितार्थ करें।


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