मित्रो !
प्रथम तो ईश्वर से कुछ भी माँगने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि वह हमारे कर्मों के अनुरूप फल स्वयं देता है लेकिन फिर भी अगर ईश्वर से हमें कुछ माँगना ही है तब हमें चाहिए कि हम अपनी पात्रता के अनुरूप उससे माँगें। पात्रता के अनुरूप माँग होने पर न तो दाता को कठिनाई होती है और न ही याचक को असंतोष होता है।
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