मित्रो !
मीठे का स्वाद उन्हीं को कड़वा या कसैला लगता है जो अस्वस्थ होते हैं। यह बात विचारों के सम्बन्ध में भी लागू होती है। मन और बुद्धि में विकार के रहते प्रिय वचन भी हमें कड़वा लगता है।
अगर मन मैला नहीं है तब मीठे बोल सभी को प्रिय होते हैं। ऐसे में यदि हमें कोई प्रिय वचन कड़ुआ लग रहा है तब हमें अपने मन को टटोलना चाहिए और विकार का पता लगाकर उसे दूर करना चाहिए।
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