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Friday, November 20, 2015
आओ ऐसा इक दीप जलायें
आओ ऐसा इक दीप जलायें।
बहें बयारें शान्ति ज्ञान की, अन्धकार सब छँट जाए। फट जाय तिमिर की काली चादर, जग प्रकाशमय हो जाए। आए मलयानिल से सुरभित सुगंध, सौरभ जग में छा जाए। छलके स्नेह अमिय की गागर, डगर प्यार की आ जाए। ऐसा भी एक दीप जले। आओ ऐसा इक दीप जलाएं।
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