मित्रो !
ईश्वर की प्रार्थना के पहले भाग में हम ईश्वर की सर्वोच्च सत्ता को स्वीकार करते हैं और उसकी स्तुति करते हैं, प्रार्थना के दूसरे भाग में हम अपने से जाने और अनजाने में हुयी त्रुटियों और अपराधों के लिए क्षमा माँगते हैं है। प्रार्थना के तीसरे भाग में अपने और सभी के लिये कल्याण की कामना करते हैं।
प्रार्थना प्रायः कविता के रूप में होतीं हैं किन्तु यदि ईश्वर का स्मरण गद्य रूप में भी किया जाता है तब वह भी प्रार्थना ही होती है। अनेक धर्मों के अनुयायियों द्वारा की जाने वाली प्रार्थनाओं में यही तीन भाग होते हैं।
हे ईश्वर ! तू सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञानी है, तू दयालु है, सभी को क्षमा प्रदान करने वाला है, तू सभी का कल्याण करने वाला है। मैं तुझे प्रणाम करता हूँ। हे प्रभु ! मुझसे जाने और अनजाने में हुए अपराधों को क्षमा करें। मुझे सदमार्ग पर ले चलें और जगत का कल्याण करे, सभी सुखी और निरोगी हों।
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