मित्रो !
अनेक मामलों में जीवन भर, जनम-जनम या सात जनम तक साथ निभाने वाले वादों पर बने रिश्ते इसी जन्म में कुछ दूर चलकर ही दम तोड़ रहे हैं। यहाँ तक कि उनकी अबोध संताने भी रिश्तों के बिखराव को रोक पाने में समर्थ नहीं हो पा रहीं हैं। मानवता, दया और करुणा भी इनके लिए कोई मायने रखते नहीं दिखाए दे रहे हैं। ऐसा क्यों हो रहा है, इसके कारणों पर विश्लेषण किये जाने की आवश्यकता है।
अभी हाल में ही एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र में एक समाचार प्रकाशित हुआ था। समाचार के अनुसार एक जिला स्तरीय न्यायालय जो तलाक के मामले की सुनवाई कर रहा था उसके द्वारा इस आशय की टिप्पणी की गयी थी कि तलाक के मामलों की बढ़ती संख्या एक चिंता का विषय है। उनके द्वारा यह भी टिप्पणी की गयी थी कि तलाक के अधिकांश मामले प्रोफेशनल्स से सम्बंधित हैं।
मित्रो एवं प्रियजनों ! उपर्युक्त संदर्भित समाचार के पढ़ने से पहले भी मेरा इस ओर ध्यान गया था और इस पर मैं एक पोस्ट लाना चाहता था। किन्तु अब तक इसे नहीं ला सका। मेरा विचार है कि इस सम्बन्ध में कारणों का विश्लेषण किया जाना आवश्यक है। यह विषय गंभीर चिंतन चाहता है। मैं इस विषय पर शीघ्र ही आर्टिकल लाना चाहूँगा। तब तक चिंता ही जाहिर कर सकता हूँ , यही कह सकता हूँ कि इस पर नियंत्रण पाया जाना समाज के हित में होगा।
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