Friday, November 20, 2015

मध्यम वर्ग का वित्तीय प्रबंधन : Budget Management of Middle Class Family


मित्रो !

        मैं अपनी बात कहने से पूर्व देवियों से क्षमा माँगना चाहूँगा। मध्यम वर्गीय परिवारों के अधिकांश मामलों में देवियाँ ही शोपिंग करने जातीं हैं, कुछ मामलों में पुरुष और स्त्री दोनों ही जाते हैं। अन्य मामलों में पुरुष शोपिंग करने जाते हैं। अतः ऐसे पुरुषों जो घरेलू उपयोग की वस्तुओं की शॉपिंग करते है उनसे भी मैं क्षमा चाहूँगा। मेरा विचार है कि - 
       कुछ मध्यम वर्गीय परिवारों के लोग अपनी आय स्त्रोतों के अनुरूप आवश्यकता की वस्तुओं का आकलन किये बिना घरेलू उपयोग की वस्तुओं की खरीद के लिए बड़े स्टोर्स में घुस जाते हैं। ऐसे लोग बिक्रेताओं द्वारा डिस्प्ले किये गए नए उत्पादों को देखकर अपने बजट पर ध्यान दिए बिना अतिरिक्त वस्तुओं की खरीद कर लेते हैं। कुछ लोग अपनी आवश्यकता की वस्तु की खरीद करते समय आकर्षक पैकिंग के झांसे में आकर अन्य ब्रांड की अधिक मूल्य की वस्तु खरीद लेते हैं। परिणाम यह होता है कि या तो उनको अन्य मदों में व्यय में कटौती करनी पड़ती है या फिर आय के अन्य स्त्रोत तलाश करने पड़ते हैं।         परिवार के खर्चे का बढ़ता बोझ परिवार के कमाऊ सदस्य के लिए तनाव का कारण बनता है। आय के अन्य स्त्रोतों की तलाश में कोई-कोई तो भृष्ट तरीकों को अपनाने को विवश हो जाते हैं। 
      ऐसे परिवारों के लिए मैं कहना चाहूँगा कि वे स्टोर्स में घुसने से पहले निम्नलिखित एक्सरसाइज अवश्य कर लें।
1. अपनी आवश्यकताओं को अपनी आय के अनुरूप चिन्हित करें।
2. आवश्यक वस्तुओं की उनके ब्रांड के साथ सूची तैयार कर लें। 
      ऐसा करने पर शॉपिंग में लगने वाले समय में कमी आएगी और आपका बजट भी नियंत्रित रहेगा। 
      अक्सर नए कीमती ब्रांड को इंट्रोड्यूस करने के लिए बड़े स्टोर्स पुराने कम मूल्य वाले ब्रांड हटा कर ग्राहकों को कीमती ब्रांड खरीदने के लिए विवश करते हैं। ऐसे में अगर नया ब्रांड आपके बजट के अनुरूप नहीं है तब आप कीमती ब्रांड उस स्टोर से क्रय न करके किसी अन्य दुकान जिस पर पुराना ब्रांड उपलब्ध हो से अपना पुराना ब्रांड क्रय करें। 
      आवश्यक मात्रा से अधिक मात्रा में वस्तुएं क्रय न करें। अगर मंहगाई बढ़ी हो तब पहले तो क्रय की जाने वाली वस्तुओं की सूची से कम आवश्यकता की वस्तुओं को हटाने पर विचार करें। यदि इससे काम न बन रहा हो तब क्रय की जाने वाली वस्तुओं की मात्रा में कटौती पर विचार करें।
     किसी सरकार के वित्त मंत्री द्वारा बनाये गए बजट और घर के लिए गृहणी द्वारा बनाये गए बजट में अंतर होता है। वित्त मंत्री के पास जनता पर अतिरिक्त कर लगाकर अतिरिक्त आय जुटाने का साधन उपलब्ध रहता है किन्तु मध्यम या निम्न वर्गीय परिवारों के पास ऐसा विकल्प उपलब्ध नहीं होता।
      रसोई घर (kitchen) के मामले में हमें "बासी बचे न कुत्ता खाय।" कहाबत ध्यान में रखनी चाहिए। हमें चाहिए कि हम अपनी आवश्यकता का ठीक प्रकार से आकलन कर लें ताकि पकाया हुआ भोजन व्यर्थ न जाय। इसको तैयार करने में लगने वाले मैटेरियल, ईधन, आदि के व्यय में मितव्यता बनी रहे। ऐसा करने पर आपकी व्यक्तिगत बचत के साथ - साथ देश के संसाधनों की भी बचत होगी। देश के लिए यह आपके द्वारा किया गया दान और योगदान होगा। मंहगाई को काबू में रखने के प्रति यह एक सार्थक प्रयास होगा। ऐसा करने से आपका अपना कल्याण होगा और गरीबों पर आपका उपकार होगा।


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