मित्रो !
वैयक्तिक आज़ादी का सभी को हक़ है किन्तु हमें यह भी सोचना होगा कि वैयक्तिक आज़ादी का उपभोग इस तरह नहीं किया जाना चाहिए जिससे किसी अन्य व्यक्ति या समाज के हित प्रतिकूल रूप में प्रभावित हों। समाज के हितों की सुरक्षा का दायित्व भी हमारा है। अगर समाज के हित संरक्षित नहीं रहेंगे तब हम अलग-थलग पड़ जाएंगे और समाज में अराजकता फ़ैल जाएगी।
मेरा विचार है कि भारतीय संस्कृति मानवीय रिश्तों को मजबूती प्रदान करती है। अतः भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्यों को तिलांजलि देकर सुदृढ़ समाज की रचना नहीं हो सकती। मेरा सुझाव है कि हम अन्य संस्कारों को अपनाते समय अपने संस्कारों को न छोड़ें। इसी पृठभूमि में मैं निम्नलिखित विचार आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
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