मित्रो !
अगर उसने शालीनता का लबादा
ओढ़ा होता तब न तो मैं गुमराह हुआ होता और न ही गुनाहगार बना होता। मेरे गुनाह के
पीछे दोष जमाने का भी है। जमाने
में संभल कर चलने वालों के लिए भी चुनौतियां बहुत हैं।
किसी को लालच देकर उसे गलत
रास्ते पर ले जाने वाला उतना ही दोषी होता है जितना लालच में आकर गलत रास्ता अपनाने
वाला दोषी होता है, या फिर उससे भी अधिक क्योंकि पहल लालच देने वाला करता है।
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