मित्रो !
मेरा मानना है कि मन्दिर के
निर्माण के बाद उसमें स्थापित मूर्ति की स्थापना पर मंदिर में और उसके समीप एक विशेष
प्रकार की ऊर्जा भर जाती है। शहरी कोलाहल से दूर एकांत में साफ़-सुथरी जगह पर स्थित
मंदिर में जाने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, व्यक्ति ताजापन अनुभव करता
है और व्यक्ति के अंदर आसुरी शक्तियां कमजोर पड़ जातीं है।
मंदिर जाने पर आस्था बलबती
होती है। अच्छे संस्कारो के प्रति
विस्वास बढ़ता है। मेरा विचार है कि मंदिरों के पास लोगों आवास नहीं होने चाहिए। ऐसा
होने पर मंदिर की सुचिता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और मंदिर का ऊर्जा क्षेत्र घट
जाता है।
मंदिरों में किसी ख्वाहिश
(wish, desire) को लेकर नहीं जाना चाहिए।
ईश्वर सर्वव्यापी है, वह आपके विषय में सब कुछ
जनता है और यह भी जनता है कि आपकी पात्रता क्या है। जिसके लिए आप पात्र हैं ईश्वर बिना
मांगे ही देता है।
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