मित्रो !
सभ्य समाज की रचना के लिए बहिन - भाई के रिश्ते अत्यंत
महत्वपूर्ण हैं। इस रिश्ते के रहते समाज में अराजकता पर नियंत्रण के साथ - साथ स्त्री द्वारा पुरुष
और पुरुष द्वारा स्त्री के सम्मान की रक्षा होती है। सौभाग्यशाली हैं वे परिवार जिनमें
पुत्र और पुत्री दोनों हैं किन्तु वे क्या करें जिनके यहां पुत्र और पुत्री में से
कोई एक नहीं है।
ऐसे परिवार जिसमें पुत्र तो हैं किन्तु
पुत्री नहीं है को चाहिए कि वह अपने समकक्ष ऐसे परिवार के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध
बनाये जिसमें कम से कम एक पुत्री अवश्य हो। समान प्रकार से ऐसे परिवार, जिसमें पुत्री तो हैं किन्तु कोई पुत्र नहीं है, को चाहिए कि वह अपने समकक्ष ऐसे परिवार
से मित्रता स्थापित करे जिसमें कम से कम एक
पुत्र अवश्य हो। भाई - बहिन के रिश्तों को मजबूत करने वाले त्योहारों को दोनों
ही परिवार मिलकर हर्षोल्लास के साथ मनाएं। ऐसा होने पर भाई को बहिन और बहिन को भाई
मिल जायेगा। इससे आपस में भाई-चारा भी बढ़ेगा
और मानवीय मूल्यों की भी रक्षा होगी।
अपने पुत्र या पुत्री के लिए क्रमशः
बहिन या भाई के रिश्ते के इछुक ऐसे परिवारों जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है और वे दूसरों
की मदद भी कर सकते हैं ऐसे परिवारों के साथ
मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बना सकते हैं जिनके यहां
उनकी आवश्यकता पूरी होती हो।
तीसरा विकल्प यह हो सकता है कि अपने
पुत्र या पुत्री के लिए क्रमशः बहिन या भाई के रिश्ते के इछुक ऐसे परिवारों जिनकी आर्थिक स्थिति एक अतिरिक्त बच्चे
का लालन - पालन कर सकने योग्य हो वे किसी अनाथालय से आवश्यकतानुसार लड़का या लड़की गोद
ले सकते हैं। वे अपने
किसी संबंधी जो बच्चे को गोद देने का इच्छुक हो का बच्चा गोद लेकर अपनी आवश्यकता पूरी
कर सकते हैं।
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