Saturday, June 30, 2018

उपहार देते समय करें विचार WHILE GIVING GIFT TO SOMEONE


मित्रो!
      यदि आप चाहते हैं कि आपके द्वारा किसी व्यक्ति को उपहार में दी गयी वस्तु का प्रयोग वह स्वयं करे तब आप किसी ऐसे व्यक्ति, जो उसे उपहार में दी जाने वाली किसी वस्तु के उपयोग करने या उसके रख-रखाव में आने वाला व्यय वहन नहीं कर सकता, को  ऐसी वस्तु उपहार में न दें। उदहारण के लिए जिस व्यक्ति की सूट की सिलाई में आने वाले व्यय को वहन करने की क्षमता नहीं है उसे उपहार में सूट का कपड़ा न दें।


Thursday, June 28, 2018

राष्ट्र का चरित्र : NATIONAL CHARACTER


मित्रो!
      कभी-कभी यह सोच कर कि हमारे राष्ट्र का चरित्र क्या है और हम जी क्या रहे हैं? दुखी हो जाता हूँ।   धर्म चाहे कोई भी क्यों न हो, हम अपने ईश्वर को करुणा का अवतार (करुणावतारम) मानकर उसकी आराधना करते हैं किन्तु जब करुणा करने की बारी आती है तब हम निर्दयी बन जाते हैं।  क्या यह हमारा दोहरा और संदिग्ध चरित्र नहीं दर्शाता है?
                Sometimes when I think about our national character and the character which we are  living, I become sad. Regardless of our religion, we all worship our God as the incarnation of compassion (Karunavataam), but when it comes to compassion, then we become merciless. Whether this does not reflect our double and dubious character?
मेरा मानना है कि --

      किसी राष्ट्र का चरित्र वह नहीं होता जिसकी अपेक्षा ग्रंथों और धर्म- ग्रंथों में की गयी होती है। किसी राष्ट्र का धर्म वह होता है जो उसमें रहने वाले लोगों के क्रिया-कलापों से परिभाषित होता है।



Wednesday, June 27, 2018

GST कानून में "exempt supply" की परिभाषा

https://www.facebook.com/keshav.dayal.98/videos/2211883952177546/


मित्रो!
      राज्यों और केंद्र सरकार के हिंदी और अंग्रेजी में जीएसटी  कानूनों  के अन्तर्गत  expressions  "exempt supply" और  "छूट  प्राप्त  प्रदाय " की परिभाषायें निम्नप्रकार दी गयीं हैं:
CLAUSE (47) of SECTION 2 OF THE UPGST ACT
(47) "छूट प्राप्‍त प्रदाय" से ऐसे किसी माल या सेवाओं या दोनों का प्रदाय अभिप्रेत है, जिसकी, एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 6 के अधीन कर की दर शून्‍य हो या जिसे धारा 11 के अधीन कर से पूरी छूट दी जा सकेगी और इसके अंतर्गत गैर-कराधेय प्रदाय भी है;
(47) “exempt supply” means supply of any goods or services or both which attracts nil rate of tax or which may be wholly exempt from tax under section 11, or under section 6 of the Integrated Goods and Services Tax Act, and includes non-taxable supply;
CLAUSE (47) of SECTION 2 OF CGST ACT
(47) “exempt supply” means supply of any goods or services or both which attracts nil rate of tax or which may be wholly exempt from tax under section 11, or under section 6 of the Integrated Goods and Services Tax Act, and includes non-taxable supply;
 (47) "छूट प्राप्‍त प्रदाय" से ऐसे किसी माल या सेवाओं या दोनों का प्रदाय अभिप्रेत है, जिसकी, एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 6 के अधीन कर की दर शून्‍य हो या जिसे धारा 11 के अधीन कर से पूरी छूट दी जा सकेगी और इसके अंतर्गत गैर-कराधेय प्रदाय भी है;
      राज्यों और संघ के हिंदी में प्राविधान समान हैं।  इसी प्रकार राज्यों और संघ (Union) के अंग्रेजी भाषा में प्राविधान समान हैं किन्तु राज्यों में हिंदी और अंग्रेजी भाषा में परिभाषाओं में भिन्नता है। इसी प्रकार संघ (Union) के हिंदी और अंग्रेजी भाषा में परिभाषाओं में भिन्नता है।
जिन राज्यों में विधायिका के समक्ष हिंदी भाषा में विधेयक प्रस्तुत किये जाने की व्यवस्था है उनमें बनाये गए अधिनियम के राजपत्र में प्रकाशन के साथ राज्यपाल की अधिकारिता से अधिनियम का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद प्रकाशित किया जाना अपेक्षित होता है।  केंद्र के मामले में पार्लियामेंट के समक्ष अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत विधेयक का हिंदी में अनुवाद भी उपलब्ध रहता है।
                हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध  GST अधिनयमों में "exempt supply" की परिभाषाओं की तुलना करने पर इनमें महत्वपूर्ण अंतर प्रकाश में आता है।  स्पष्ट है कि केंद्र सरकार के स्तर पर अंग्रेजी का हिंदी में अनुवाद करने तथा राज्य सरकार के स्तर पर हिंदी का अंग्रेजी में अनुवाद करने में बड़ी चूक हुयी है।




Saturday, June 16, 2018

आस्था या पर्यटन FAITH OR TOURISM


मित्रो !
      मेरे विचार से दुर्गम स्थानों पर देवालय बनाने का उद्देश्य मनुष्य के मन में ईश्वर के प्रति आस्था को और अधिक सुदृढ़ करने का रहा था।  वर्तमान में अनेक देवालयों के दुर्गम रास्तों को सुगम रास्तों में बदले जाने से ऐसे स्थान आस्था के केंद्रों के बजाय पर्यटन स्थल अधिक बनते जा रहे हैं जिससे लगातार ईश्वर के प्रति आस्था कमजोर हो रही है।
      ऐसा होने से पर्यावरण और प्रकृति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। तीर्थ स्थलों की पवित्रता भी प्रभावित हो रही है।
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Sunday, June 10, 2018

बिना गवाहों और सबूतों के न्याय : JUSTICE WITHOUT TESTIMONY AND EVIDENCES



मित्रो !
      संभव है कि आप कोई गुनाह करके इस दुनिया के किसी न्यायालय में असत्य दस्ताबेज और झूठी  गवाही पेश करके दण्ड से बच भी जांय किन्तु ईश्वर के न्यायालय में नहीं बच सकते।  क्योंकि ईश्वर के न्यायालय में सबूतों और गवाहों की जरूरत नहीं होती क्योंक वह स्वयं आपके प्रत्येक अच्छे और बुरे कर्म का प्रत्यक्षदर्शी रहा होता है।
Friends !
            Here you can escape from getting punishment in a court by producing false testimony and evidences in your favor but not in the court of God. In the court of God neither witness and evidences are required nor opportunity is needed for giving statements. Because, in each case, the God would have been an eyewitness.




Saturday, June 9, 2018

इनको क्या कहिये WHAT ONE SHOULD CALL THEM



मित्रो!
      ऊपर से लेकर नीचे तक ऐसे बहुत से पढ़े - लिखे लोग मिलेंगे जो आई0 ए0 एस0 की प्राथमिक परीक्षा का फार्म भर कर, परीक्षा हुए बिना ही, ऐसे जश्न मनाना प्रारम्भ कर देते हैं जैसे वे आई0 ए0 एस0 अधिकारी बन गए हों । यह निरुद्देश्य या निरर्थक भी नहीं है, ऐसा करके वे दूसरों की नज़रों में अपना भाव तो बढ़ा ही लेते हैं।



Friday, June 8, 2018

कानून बना देना ही पर्याप्त नहीं : LAW MAKING IS NOT SUFFICIENT



मित्रो !
      काम (lust), क्रोध, मद और लोभ (विशेष रूप से काम और क्रोध) का प्रभाव इतना शक्तिशाली होता है कि इनसे आवेशित व्यक्ति कुछ और सोच ही नहीं सकता।  इनके आवेश में किये गए अपराधों के लिए मिलने वाले दंड की ओर उसका ध्यान ही नहीं जाता। अतः इनके आवेश में किये जाने वाले अपराधों को कानून बनाकर नहीं रोका जा सकता।
      The urge of lust, anger, intoxication or greed (especially lust and anger) is so powerful that the person charged by them can not think of anything else. Persons, charged with these vices while falling victim to them,  remain unaware of the penalties under the law for crimes to be committed by them. Therefore, the crimes committed under the urge of lust, anger, intoxication or greediness can not be stopped by making the law.




Sunday, June 3, 2018

GOD AND THE NATURE ईश्वर और प्रकृति


मित्रो!
      एक ईश्वर है और बाकी सब कुछ उसके द्वारा रची गयी प्रकृति है। प्रकृति के बाहर कुछ भी नहीं है। इस प्रकृति में वह भी वही समाया हुआ है। ईश्वर और उसकी प्रकृति के पुजारियों को  मेरा विनम्र प्रणाम।
                There is one God and everything else is the nature created by Him. There is nothing outside the nature. Even God Himself is deeply embedded in this nature. My humble salute to the priests of God and the nature.