मित्रो !
अच्छे परिणाम की अपेक्षा ही ख़राब परिणाम मिलने पर दुःख का कारण बनती है। ख़राब परिणाम के कारण होने वाले दुःख से छुटकारा पाने का एक मात्र उपाय है कि हम उद्देश्य को ध्यान में रखकर सकारात्मक दृष्टिकोण से कोई भी कार्य यह सोच कर करें कि परिणाम अनुकूल हो भी सकता है और नहीं भी। ऐसा होने पर प्रतिकूल परिणाम आने पर भी हमें दुःख नहीं होगा।
परिणाम को ईश्वर पर छोड़ देने से यह अभिप्राय कदापि नहीं है कि ईश्वर कर्म के अनुसार फल नहीं देता। हमें यह सोचना चाहिए कि हम परीक्षार्थी हैं और ईश्वर परीक्षक है। परीक्षक ही जानता है कि परीक्षार्थी के प्रयास किस कोटि के हैं।
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