मित्रो !
गरीब परिवारों में जन्में लड़कों के माता-पिता अनेक आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर, यहां तक कि अपना घर और अन्य संपत्ति गिरबी रखकर, अपने बड़े लडके को इस आशा के साथ पढ़ाते हैं कि वह नौकरी पाकर उनका सहारा बनने के साथ-साथ अपने बहिन -भाइयों को आगे ले जायेगा, घर की माली हालत सुधरेगी। लेकिन अगर बड़ा बच्चा नौकरी पाकर विवाह के उपरान्त परिवार से नाता तोड़ ले तब हम समझ सकते हैं कि उस परिवार की स्थिति क्या होगी?
शादी में दो परिवारों के बीच नए रिश्तों का जन्म होता है। शादी का मतलब है एक होना और दो का एक होकर संतति को आगे बढ़ाना। किन्तु यदि शादी से परिवार में विखराव आ जाय, किसी एक परिवार की प्रगति बाधित हो जाय तब ऐसी शादी से बचना ही उचित होता है।
कुछ मामलों में गाँव के किसी गरीब परिवार के लड़के की किसी अच्छे पद पर नौकरी लग जाने पर कोई धनाढ्य व्यक्ति अपनी पुत्री का विवाह उस लड़के से कर देता है। कुछ समय बाद लड़की के माँ - बाप अपने गुप्त एजेंडे के तहत विषम परिस्थिति उत्पन्न कर लड़के को अपने परिवार से अलग होने के लिए विवश कर देते है। ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक हैं कि सृजन में विध्वंश कैसा और गरीबों की प्रगति में बाधा क्यों?
मेरे विचार से अनेक सम्बन्धों को बिगाड़ कर एक एक नया घर बसाने की बात उचित नहीं है।
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