मित्रो !
किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका चरित्र हनन कायरता तो है ही साथ ही ऐसा करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत भी है। कायरता इसलिए कि ऐसा करना पीछे से वार करने और मरे हुए को मारने जैसा है और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत इसलिए कि मरा हुआ व्यक्ति आरोप के सम्बन्ध में अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर सकता।
मेरे विचार से यह कार्य घृणित और निंदनीय है। ऐसे कृत्य की जितनी भी निन्दा की जाय वह कम है।
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