Peace, Co-existence, Universal Approach Towards Religion, Life, GOD, Prayer, Truth, Practical Life, etc.
Tuesday, May 31, 2016
Monday, May 30, 2016
मृत्यु निरर्थक नहीं : Death Is Not Purposeless
मित्रो !
इच्छा करो कि जब तक जियें, नीरोग और सुखी रहें। यह इच्छा न करो कि मृत्यु कभी न आये, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन बने रहने के लिए जन्म और मृत्यु के चक्र का नियमित रूप से चलते रहना आवश्यक है।
Wish to live healthy and happy life till the death
comes and don't wish for death not to come because the continuity of life on
the earth requires continuous running of cycle of birth and death.
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Sunday, May 29, 2016
वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य धर्म : Globally Acceptable Religion
मित्रो !
वस्तुतः मानवता ही ऐसा धर्म है जो विभिन्न धर्मों के अनुयायियों को एक सूत्र में बाँध सकता है। मेरा मानना है कि विभिन्न धर्मों के रहते विश्व स्तर पर मानवता को द्वितीयक अनिवार्य धर्म घोषित किये जाने और ऐसे धर्म की शिक्षा को अनिवार्य होने की सहमति बनायीं जानी चाहिए।
Humanity is indeed the only religion which can
bind followers of all religions in a single thread. I am of the view that
various religions remaining in existence, global consent should be developed
for declaring "Humanity" as secondary mandatory religion and to make
its education compulsory.
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Thursday, May 26, 2016
सेवा विस्तार का औचित्य : Justification of Service Extension
मित्रो !
किसी भी ऐसे देश, जिसमें बेरोजगारी एक समस्या हो, में किसी सेवा निवृत होने जा रहे कर्मचारी को सेवा विस्तार दिया जाना या सेवा में पुनःनियुक्ति किया जाना उचित नहीं कहा जा सकता है। ऐसा करने से बेरोजगारी बढ़ती है, सरकार पर सेवाओं की मद में व्यय भार भी बढ़ता है, साथ ही अन्य कर्मचारियों के प्रोन्नति के अवसर भी प्रतिकूल रूप में प्रभावित होते हैं। यह भी नहीं सोचा जा सकता है सेवा विस्तार दिए जाने वाले व्यक्ति के समतुल्य या उससे बेहतर योग्यता का कोई और व्यक्ति नहीं हो सकता है। सेवा विस्तार या सेवा में पुनःनियुक्ति की आशा में अनेक उच्च पदों पर तैनात अधिकारियों की निष्ठां में भी अंतर आ जाता है, वह नियमित सेवा के अंतिम वर्षों में अपनी निष्ठा उन लोगों में केंद्रित कर देते हैं जिनमें सेवा विस्तार या सेवा में पुनःनियुक्ति दिए जाने की शक्तियां निहित होतीं हैं।
Wednesday, May 25, 2016
आप ईश्वर की अद्वितीय रचना हैं : Uniqueness of every person
मित्रो !
प्रत्येक मनुष्य ईश्वर की अद्वितीय रचना है। इस विशिष्टता के आधार पर ही मनुष्य की पृथ्वी पर पहचान संभव हुयी है।
एक क्षण रुकिए और सोचिये कि अगर ऐसा न रहा होता तब पृथ्वी पर समाज और जीवन कैसे रहे होते।
Each person is unique creation of God. On the
basis of this uniqueness of every person, it had been possible to identify an
individual on this Earth.
Stop for a moment and think that how the society
and life would have been on this earth had there not been uniqueness of
individuals.
Monday, May 23, 2016
Saturday, May 21, 2016
मृत्यु और बुढ़ापे की हत्या का पागलपन : Madness of Killing the Death and the Old Age
मित्रो !
यदि बुढ़ापे और मृत्यु को टालने की बूटियां या युक्तियाँ मनुष्य के हाथ लग जांय तब प्रत्येक मनुष्य सदैव जवान ही रहना चाहेगा। ऐसे में जनसँख्या लगातार बढ़ती रहने पर पृथ्वी पर जगह नहीं रह जाएगी। मनुष्य स्वर्ग की चाहत में पृथ्वी को ही नर्क बना बैठेगा। अगर किसी और गृह पर जीवन हुआ और मनुष्य ऐसे गृह पर गया तब कुछ समय में ही वहां पर भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
उपर्युक्त परिस्थितियों में मनुष्य यह सोचने को विवश हो जाएगा कि वह मृत्यु और बुढ़ापे की हत्या का अपराधी है, मृत्यु और बुढ़ापा रहित जीवन से बुढ़ापे और जन्म-मृत्यु के बंधनों में बंधा जीवन ही श्रेयस्कर है। अंत में मनुष्य या तो स्वयं ऐसी बूटियां और युक्तियाँ नष्ट कर देगा या फिर ईश्वर से प्रार्थना करेगा कि वह उसे ऐसी बूटियों और युक्तियों से मुक्ति दिलाये।
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Friday, May 20, 2016
जनसँख्या बृद्धि दर अधिक होने के कारण : Reasons for Higher Growth Rate of Population
मित्रो !
अधिक
संतानें पैदा
करने या
जनसँख्या की
बृद्धि दर
अधिक होने
के पीछे
निम्नलिखित कारण
हो सकते
हैं :-
(अ)
अज्ञान
(ब)
अशिक्षा
(स)
आर्थिक कमजोरी
(बेरोजगारी)
(द)
असुरक्षा की
भावना।
मेरा विचार
है कि
जनसँख्या की
बृद्धि दर
पर नियंत्रण
पाने के
लिए योजनायें
इन कारणों
को ध्यान
में रख
कर बनायीं
जानीं चाहिए।
कारण और
भी हैं
जिनका उल्लेख
मैं यहां
करना उचित
नहीं समझता।
इनका उल्लेख
मैं आगे
आने वाली
किसी पोस्ट
में करूँगा।
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