प्रिय मित्रो !
हम अपने प्रियजनों या शुभचिंतकों के साथ कोई अनुचित या अप्रिय व्यवहार नहीं करना चाहते किन्तु फिर भी कभी - कभी अनजाने में हम उनके प्रति अनुचित व्यवहार करते रहते हैं। दूसरी ओर हमारे प्रियजन या शुभचिंतक हमारे ऐसे अनुचित व्हवहार की शिकायत हमें दुःख पहुँचने की आशंका से नहीं करते। ऐसी परिस्थितयों में हमारे द्वारा किये जा रहे व्यवहार के औचित्य की जानकारी हमें नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति से बचने के लिए यह कारगर हो सकता है कि हम अपने को अपने प्रियजन या शुभचिंतक के स्थान पर रखकर और प्रियजन या शुभचिंतक को अपने स्थान पर रखकर व्यवहार का विश्लेषण करते रहे। इससे हमें उचित या अनुचित व्यवहार की जानकारी मिल सकती है और हम अपने व्यवहार में सुधार कर सकते हैं ।
हम अपने प्रियजनों या शुभचिंतकों के साथ कोई अनुचित या अप्रिय व्यवहार नहीं करना चाहते किन्तु फिर भी कभी - कभी अनजाने में हम उनके प्रति अनुचित व्यवहार करते रहते हैं। दूसरी ओर हमारे प्रियजन या शुभचिंतक हमारे ऐसे अनुचित व्हवहार की शिकायत हमें दुःख पहुँचने की आशंका से नहीं करते। ऐसी परिस्थितयों में हमारे द्वारा किये जा रहे व्यवहार के औचित्य की जानकारी हमें नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति से बचने के लिए यह कारगर हो सकता है कि हम अपने को अपने प्रियजन या शुभचिंतक के स्थान पर रखकर और प्रियजन या शुभचिंतक को अपने स्थान पर रखकर व्यवहार का विश्लेषण करते रहे। इससे हमें उचित या अनुचित व्यवहार की जानकारी मिल सकती है और हम अपने व्यवहार में सुधार कर सकते हैं ।
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