मित्रो
!
मनुष्य
अज्ञानी रह कर अनियंत्रित जीवन शैली जीते हुए असीमित आज़ादी का उपभोग कर अपने
कष्टों को स्वयं बढ़ाता है। यदि मनुष्य सुखी रहना चाहता है तब उसे ज्ञान अर्जित
करना होगा, जीवन
नौका को अनियंत्रित न छोड़कर स्वयं नियंत्रित कर सही दिशा में ले जाना होगा तथा उसे
असीमित आज़ादी में से उतनी आज़ादी का उपभोग करना होगा जितना उसके और अन्य सभी के लिए
हितकर हो सकता है।
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