मित्रो !
मेरे विचार से बुढ़ापा कष्टदायी होने के कुछ कारण हमारे स्थूल शरीर से सम्बंधित होते हैं तथा कुछ कारण हमारी सोच और अनुभूति से सम्बंधित होते हैं। मेरा मानना है कि प्रारम्भ से नियमित जीवन जीते हुए उचित ज्ञान के द्वारा बुढ़ापे में होने वाले कष्टों को बहुत बड़ी सीमा तक कम किया जा सकता है।
हमें बुढ़ापे की प्रतीक्षा किये बिना किशोरावस्था से ही नियमित जीवन जीना चाहिए और ज्ञानार्जन कर आत्मबल बढ़ाना चाहिए। बुढ़ापा आने से पूर्व हमें इसके स्वागत के लिए तैयार रहना चाहिए।
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