मित्रो !
यह मन बड़ा जिद्दी है। बहुत समझाया कि हथेली पर आम नहीं उगता, रोम का निर्माण एक दिन में नहीं हुआ था और सूरज पश्चिम से नहीं निकलता। पर मन का मानना है कि वह दिन लद गए जब यह सब लागू होता था, अब इंटरनेट और मीडिया का जमाना है, पलक झपकते सब कुछ हो जाता है।
जब मैंने मन को बहुत समझाने का प्रयास किया और उसे बताया कि B. K. S. Iyengar को पद्म श्री से पद्म भूषण और फिर पद्मविभूषण की यात्रा करने में लगभग 25 वर्ष लग गए तब मेरे मन ने बगावत कर दी, कहने लगा कि फिर भी भारत रत्न से चूक गये। अगर इंटरनेट का सहारा लेते तब बहुत कम मेहनत किये ही जो कुछ मिला उससे अधिक पा लेते। मेरे मन का मानना है कि जिस दिन कोई इंटरनेट और मीडिया का सहारा लेगा उस दिन वह B.K.S. Iyengar से आगे निकल जायेगा।
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