मित्रो !
ऊपर वाले का ऊपर रहना ही ठीक है। उसके ऊपर रहते
नीचे वाले बिना किसी रोक-टोक अपनी फ़रियाद, जब जी चाहा,
उससे
कर लेते हैं बरना नीचे वालों ने तो उसके विश्राम के समय का सहारा लेकर मंदिरों के
कपाट खुलने और बन्द होने का समय तो निश्चित किया ही, साथ ही यह फरमान
भी सुना दिया है कि हर कोई दर्शन नहीं कर सकता।
वह ईश्वर है जो
अपनी संतानों में किसी प्रकार का भेद-भाव किये बिना उनकी पुकार,
चाहे
दिन हो रात, हर समय सुनता है और उनकी मदद भी करता है। किन्तु
मनुष्य ने ईश्वर के विश्राम के समय का सहारा लेकर निश्चित समय में दर्शन पर पाबंदी
लगा रखी है। कुछ वर्गों या व्यक्तियों के पूजा गृहों में जाने को भी प्रत्यक्ष या
परोक्ष रूप में प्रतिबंधित कर रखा है। यह कहाँ तक उचित है?
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