मित्रो !
यदि परिस्थितिवश हम इच्छित या अपेक्षित भला नहीं कर सकते तब हमें परिस्थितियों को अनुकूल बनाने का प्रयास करना चाहिये। यदि हम परिस्थितियाँ नहीं बदल सकते तब हमें निराश हुए बिना वह भला करना चाहिए जिसके करने के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल हों।
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