Tuesday, July 21, 2015

उचित वही जो अनुकरणीय हो


मित्रो !

       परिवार में बड़े अपने आचरण से अपने छोटों के सामने जो उदहारण प्रस्तुत करते हैं, छोटे उसी का अनुसरण करते हैं। अतः हमें ऐसे कार्य नहीं करने चाहिये जिनका हम अपने छोटों द्वारा वर्तमान या भविष्य में किया जाना उचित नहीं समझते। ऐसा न होने पर छोटों की नज़रों में बड़े सम्मान खो देते हैं। 

        गीता के अध्याय 3 के श्लोक 21 के अनुसार कृष्ण ने अर्जुन को निम्नलिखित उपदेश दिया है :
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।
     महापुरुष जो-जो आचरण करता है, सामान्य व्यक्ति उसी का अनुसरण करते हैं। वह अपने अनुसरणीय कार्यों से जो आदर्श प्रस्तुत करता है, सम्पूर्ण विश्व इसका अनुसरण करता है।



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