मित्रो !
पांच तत्वों से बना पांच कर्मेन्दिर्यों, पांच
ज्ञानेन्द्रियों, मन, बुद्धि और अहंकार
वाला यह शरीर जीवात्मा के इसमें प्रवेश करने पर क्रियाशील होता है और जब तक
जीवात्मा शरीर में रहता है, शरीर में चेतना रहती है। जीवात्मा द्वारा शरीर का
त्याग कर देना ही मृत्यु है।
मृत्यु के उपरान्त शरीर क्रियाविहीन हो जाता है। जीवात्मा के
शरीर को छोड़ देने पर जीवात्मा शरीर और इस संसार की अनेक जड़ तथा चेतन वस्तुओं से
बनाये गये मोह बन्धनों से मुक्त हो जाती है।
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