मित्रो !
किसी को उसके प्रथम नाम से सम्बोधित करने में प्यार, निकटता और मित्रता का आभाष होता है, मध्य नाम से सम्बोधित करने से थोड़ी निकटता और थोड़ी औपचारिकता का तथा अन्तिम नाम से सम्बोधित करने पर मात्र औपचारिकता का आभाष होता है।
प्रथम परिचय के अवसर पर हमें अपना पूर्ण नाम बताना चाहिये। यदि हम नाम बताने में आद्यक्षर (नाम के प्रथम अक्षर) बताते हैं तब हमें उसके साथ पूरा नाम भी बताना चाहिए। उदाहरणार्थ "के. पी. सिंह, कृष्ण प्रताप सिंह". अधीनस्थ को प्रथम नाम से बुलाने पर कार्य प्रबंधन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
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